मैदानी कर्मचारियों की सजगता से दस दिनी नवजात की जान बचाई गई

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रतलाम 08 अप्रैल 2025/ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. संध्या बेलसरे ने बताया कि शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नवजात शिशुओं की गृह भेंट आधारित स्वास्थ्य देखभाल की जाती है। कार्यक्रम में शिशु के जन्म के दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन चौदहवें दिन, अट्ठाईसवें दिन देखभाल कर जांच की जाती है।

जिले के ग्राम पिपलियाजोधा तहसील जावरा अन्तर्गत दीपाली पति पुष्कर बलाई की नवजात पुत्री को गंभीर दस्त की समस्या के चलते निर्जलीकरण की स्थिति निर्मित हो गई थी। ग्राम की आशा कार्यकर्ता सीमा कुमावत ने शिशु की जांच कर कम्युनिटी हेल्थ आफिसर सीमा राठौर को घर पर बुलवाया। नवजात शिशु की जांच करने पर परिजनों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा जन्मघुट्टी पिलाई जा रही है और वे अन्य उपचार नहीं करवाना चाहते हैं, इस पर मैदानी कार्यकर्ताओं ने उचित प्रकार से समझाईश देकर नवजात शिशु को जिले के बाल चिकित्सालय भेजा। बाल चिकित्सालय में नवजात शिशु को डा. आर.सी. डामोर, डा. ए.पी. सिंह एवं अन्य चिकित्सकों की देखरेख में 17 दिन भर्ती रखा गया। नवजात शिशु का वजन पहले 2 किलो था जो उपचार के बाद बढकर 2.6 किलो हो गया है, परिजन ने बताया कि बाल चिकित्सालय के उपचार से पूरी तरह से संतुष्ट हैं, समय पर नवजात शिशु को रेफरल एवं सही उपचार से उसकी जान बच सकी है इसके लिए परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और राज्य शासन को धन्यवाद दिया है।

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