रतलाम में प्राइवेट स्कूलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। प्राइवेट स्कूलों द्वारा मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं करने के कारण अब जिले के 70 के करीब प्राइवेट स्कूलों पर एक अप्रैल से ताला लग जाएगा। पाठकों को बता दें कि जिले में प्राइवेट स्कूलों हेतु मान्यता नवीनीकरण की अंतिम तारीख 14 फरवरी रखी गई थी, लेकिन अंतिम तारीख के बीत जाने तक प्राइवेट स्कूल संचालकों ने आवेदन नहीं किया। जिस कारण से अब ये स्कूल 31 मार्च के बाद संचालित नहीं हो सकेंगे।
रतलाम जिले में 438 प्राइवेट स्कूलों ने मान्यता नवीनीकरण हेतु पोर्टल पर किया ऑनलाइन आवेदन
मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम जिले में कुल 507 प्राइवेट स्कूलों में से 438 स्कूलों ने ही मान्यता नवीनीकरण के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया है। जबकि जिले के 69 प्राइवेट स्कूल संचालकों ने स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण हेतु पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन नहीं किया था। जिस कारण से अब इन स्कूलों की मान्यता पर खतरा मंडराने लगा है।
इन स्कूलों में 10 हजार से अधिक बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई
रतलाम जिले में 69 स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने मान्यता नवीनीकरण हेतु पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन नहीं किया है। इन स्कूल की
वर्ष 2025-26 से मान्यता का नवीनीकरण होना है। ऐसे स्कूल जिनकी मान्यता पर खतरा मंडराने लगा है उनमें वर्तमान में लगभग 10 हजार से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूलों की लापरवाही के चलते अब इन बच्चों का भविष्य अधर में दिखाई दे रहा है। अगर सरकार ने इन स्कूलों को मान्यता नवीनीकरण हेतु कोई राहत नहीं दी तो यहां पढ़ने वाले बच्चों को 1 अप्रैल से अन्य स्कूलों में दाखिला लेना पड़ेगा।
प्राइवेट स्कूल संचालकों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
प्राइवेट स्कूल संचालकों ने
सरकार के नए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मध्य प्रदेश प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ के प्रदेशाध्यक्ष दीपेश ओझा ने बताया कि सरकार द्वारा मान्यता नवीनीकरण के लिए रजिस्टर्ड किरायानामा जरूरी करने के साथ 10 लाख रुपए तक स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन शुल्क भी लगाया जा रहा है। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार मान्यता नवीनीकरण के लिए एफडी भी जरूरी कर दी है। वहीं 500 से अधिक बच्चों वाले स्कूलों को 40 हजार रुपए व इससे कम बच्चों वाले स्कूलों को 30 हजार रुपए की एफडी देने के साथ-साथ 4 हजार रुपए प्रतिवर्ष के हिसाब से मान्यता शुल्क भी जरूरी किया गया है। जिसका प्राइवेट स्कूल संचालक विरोध कर रहे हैं। सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल संचालकों की बात ना सुनने के कारण अब हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने बताया कि सरकार के नए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा याचिका लगा दी गई है।
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