,

*चलो हो गया गंगा स्नान, याद रहेगा इस सदी का महाकुंभ मेला*

admin Avatar
Spread the love

*चलो हो गया गंगा स्नान, याद रहेगा इस सदी का महाकुंभ मेला*

प्रयाग में लगने वाला इस सदी का महाकुंभ (144 वर्ष वाला) अविस्मरणीय मेला बन गया। प्रचारित आंकड़ों के अनुसार यहां 45 करोड़ से भी ज्यादा लोग यानी कि देश का एक तिहाई जनमानस पवित्र त्रिवेणी में डुबकी लगा चुका है। कई मामलों में यह 2025 का महाकुंभ लंबे समय तक याद किया जाएगा। इस बार संत,महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर एवं अलौकिक साधना के साधक नागा साधू, संन्यासी, अघोरी आदि ने यहां की भूमि पर माघ महीने में तप किया एवं विशेष पर्व पर शाही स्नान का पुण्य कमाया। सनातन धर्म परंपरा से अनेक अनुष्ठान एवं यज्ञ संपन्न हुए। कुंभ क्षेत्र से सुंदर आंखों वाली लड़की को मोक्ष की जगह फिल्मी दुनिया में जाने का आमंत्रण भी कुंभ से फिल्म जगत की उपलब्धि भी मानी जाएगी। वहीं दूसरी ओर फिल्म जगत में अपनी अदाओं से सुर्खियों में रही अभिनेत्री ममता कुलकर्णि का सन्यास धारण करना अचानक मंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त करना और तमाम साधु संतों द्वारा अचानक से किन्नर अखाड़े में बनाए गए मंडलेश्वर पद का विरोध करना, और मंडलेश्वर पद वापस लेने की बात भी लोगों को याद रहेगा। कुंभ क्षेत्र में आईआईटी बाबा जो स्वयं सिंह स्वीकार करते हैं कि वह नशे के आदी हो चुके हैं उनका भी अध्यात्म एक चर्चा का विषय बना रहेगा पढ़े लिखे वैज्ञानिक और विद्वानों के बीच में। * याद रहेगा यहां भगदड़ में मारे गए अनेक श्रद्धालुओं की गड़ना। सरकार के आंकड़ों पर राजनीति। मेले में मारे गए श्रद्धालु जनों के परिजनों की पीड़ा। उनकी वेदना को लंबे समय तक लोग याद करेंगे। जब भी कुंभ की बात चलेगी उनके परिजनों का दर्द उभरेगा एवं घाव ताजा हो जाएगा। इस महाकुंभ के मेले में किस तरह उन्होंने अपनों को खाया। कितने बच्चे कितनी महिलाएं और कितने वृद्ध पैरों के नीचे कीड़े मकोड़े की तरह कुचलकर इस दुनिया को छोड़ दिए। याद तो यह भी रखा जाएगा की कुंभ मेले में मरने वालों के बारे में सनातन धर्म के प्रबल समर्थक धीरेंद्र शास्त्री ने मोक्ष की प्राप्ति की बात कही तो शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार की व्यवस्था को कोसा,और इस मृत्यु को मोक्ष प्राप्त का साधन बताने वाले की कड़ी निंदा की। उन्होंने उनकी इच्छा पर उन्हें मोक्ष के रास्ते पर ले जाने के लिए गंगा में धक्का देने की बात कही।

कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े की चकाचौंध, किन्नर संत से आशीर्वाद एवं उनके हाथों से सिक्का प्राप्त करने की होड़ भी दिखी। पवन त्रिवेणी तट पर सनातन परंपरा के सर्वश्रेष्ठ अनेकों कथा वाचको का प्रवचन यहां गुंजायमान हुआ। एक प्रकार से देखा जाए तो इस महाकुंभ में शंख ध्वनि से ज्यादा हूटरों की आवाज गूंजी।
हूटरों की आवाज को, वीआईपी कल्चर को यहां पर अव्यवस्था का कारण माना गया तो किसी ने प्रशासन की अदूरदर्शिता से लगने वाले घंटो जाम को दुखद समझा ।
कुंभ के इतिहास में पहली बार ऐसा इस कुंभ में दिखा की 12- 14 घंटे तक तीर्थ यात्री अपने वाहन में बैठे जाम खुलने का इंतजार करते रहे। कहीं तो 20 किलोमीटर से भी लंबी लाइन लगी रही, सड़क पर निकालने की जगह नहीं थी। संयोग अच्छा रहा की जाम में फंसे लोगों का दम घुटने की बड़ी दुर्घटना नहीं हुई। वहन में बैठे-बैठे लोग रात गुजार दिए। गांव गली कूचे जहां से भी रास्ता निकाला लोग इस रास्ते पर आगे बढ़ाने की होड़ लगाये रहे। कटनी के समीप जिला प्रशासन द्वारा यह भी अपील की जाती रही की कुंभ मेला में जाने वाले तीर्थ यात्री प्रयागराज जाने का विचार त्याग दें और अपने घरों को वापस लौट जाएं।
इस कुंभ में मध्य प्रदेश सरकार, रीवा जिला का प्रशासन ने तीर्थ यात्रियों की सेवा जन सहयोग से कराकर वास्तविक पुण्य अर्जित किया। तीर्थ यात्रियों को प्रयागराज की सीमा चाकघाट से लेकर रीवा के बीच में जगह-जगह भोजन पानी आवास आदि की सुविधा देकर पुण्य कमाया।तीर्थ यात्रियों की सेवा एवं सुविधा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय मोहन यादव जी सतत निगरानी बनी रही। देश के हृदय में बसने वाले मध्यप्रदेश में तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए रीवा के जिला कलेक्टर, कमिश्नर, आईजी, एसपी सहित तमाम आलाधिकारी बराबर निगरानी करते रहे। तीर्थ यात्रियों को समुचित सुविधा उनके क्षेत्र में मिले मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल जी ने भी तीर्थ यात्रियों के वाहनों में जाकर उनका सुविधा व्यवस्था की जानकारी ली तथा प्रशासन को सख्त हिदायत दिया कि उन्हें कोई तकलीफ न होने पाए।
नगर परिषद चाकघाट सीमा में लगे रैन बसेरा शिविर में नगर परिषद त्योंथर जनपद पंचायत त्योंथर,जनपद जवा के तमाम प्रशासनिक कर्मचारी, पंच सरपंच एवं जनप्रतिनिधि भी सेवा में लगे रहे। जिस ढंग से तीर्थ यात्रियों की मदद मध्य प्रदेश की सीमा में यहां हुई उसे भी याद रखा जाएगा। महामंडलेश्वर जून पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी के प्रवचन उनके दिशा निर्देश एवं सनातन धर्म के विकास के लिए किये जा रहे हैं अनुष्ठान की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही होगी। इस महाकुंभ में स्वामी अवधेशानंद जी के भव्य शिविर में चाकघाट के वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार राम लखन गुप्त की पुस्तक वरदान (खंडकाव्य) का विमोचन भी साहित्य जगत में याद रखा जाएगा। तीर्थराज प्रयाग में जहां तमाम संत महात्माओं ने विभिन्न देवी देवताओं के लिए यज्ञ अनुष्ठान किया वहीं मेला क्षेत्र में देश की रक्षा और सुरक्षा में शहीद होने वाले जवानों की स्मृति में भव्य यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ स्थल परिसर में देवी देवताओं की मूर्ति की जगह देश के उन तमाम शहीद सैनिकों के चित्र लगे थे। धर्म ध्वज के स्थान पर राष्ट्रीय तिरंगा फहरा रहा था और उन शहीदों की आत्मा की शांति हेतु बराबर हवन यज्ञ हो रहा था। बताया गया की जो लोग देश की रक्षा में शहीद हुए हैं उनके परिजनों को बुलाकर यहां पर अनुष्ठान कराया जा रहा है। देश भक्ति के गीत से भरे इस पंडाल में पहुंचते ही शहीदों के प्रति लोगों का सर श्रद्धा से झुक जाता था। लगता था कि धरती के सबसे बड़े प्रत्यक्ष देव यही है जो भारत की सीमा में रहकर भारत माता की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने में भी पीछे नहीं रहे। याद रखा जाएगा इस कुंभ में नौसिखिए मीडिया जगत के लोगों की तमाशा खड़ी करने वाली की हर छोटी खबर। जिसे वे प्रचारित और प्रसारित करने में पीछे नहीं रहे। यह बात अलग है कि उन्हें क्या दिखाना चाहिए था क्या नहीं दिखना चाहिए था, कब दिखाना चाहिए था इसको भी वे नहीं समझ पाए। अनवरत चलने वाले भंडारे की चर्चा महाकुंभ क्षेत्र में होती रही तो भीड़ में फंसे लोगों के उदास चेहरे भी देखने को मिले। हर जगह भीड़ ही भीड़। मानव रेला चारों तरफ। लगता था कि यह मानव महाकुंभ है। किस तरह श्रद्धालु अपनी जान बचाकर गंगा स्नान करके अपने घर वापस लौट आए । यह भी लोग याद करेंगे और बताएंगे आने वाली पीढ़ी को। महाकुंभ में व्यवस्था के नाम पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का कई बार दौरा प्रशासनिक अधिकारियों को समझाइस। व्यवस्था के लिए सख्त निर्देश की भी बात को याद रखा जाएगा, लेकिन व्यवस्था अव्यवस्था में कैसे बदल गई इसे भी भूला नहीं जा सकता। बहुत व्यवस्था हुई, अच्छी व्यवस्था हुई। तमाम सैनिकों ने सुरक्षा कर्मियों ने रात दिन एक करके व्यवस्था बनाने का प्रयास किया। उनका भी स्मरण किया जाता रहेगा। यह महाकुंभ कई मामलों में अद्भुत अद्वितीय एवं कल्पना से परे रहा। जब कोई बड़ा दुरूह काम संपन्न हो जाता है तो लोग कहते हैं चलो गंगा नहा लिए। गंगा नहाना किसी संकटमय कार्य की सफलता भी मानी जाती है। गंगा नहाना किसी कार्य को सफलता पूर्वक संपन्न हो जाने का भी द्योतक है और इस महाकुंभ में जो कुछ भी रहा सनातन धर्म को विश्व में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए भी याद किया जाता रहेगा। यह भी याद किया जाएगा की कितनी यात्रा, कितनी वेदना, कितनी कठिनाई सहकार की लोग गंगा में डुबकी लगाए और काहा कि चलो हो गया गंगा स्नान। याद रहेगा 2025 का 144 साल बाद लगने वाला यह महाकुंभ।
रामलखन गुप्त
पत्रकार
चाकघाट, जिला-रीवा (मध्य प्रदेश)

https://Manasnews.com

प्रधान संपादक नरेन्द्र सोनगरा रतलाम

 Avatar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Author Profile
Latest posts
Search