अवैध उत्खनन के 2 प्रकरणों में संबंधित व्यक्तियों को कलेक्टर ने जारी किए कारण बताओ सूचना-पत्र!

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अवैध उत्खनन के 2 प्रकरणों में संबंधित व्यक्तियों को कलेक्टर ने जारी किए कारण बताओ सूचना-पत्र!

Illicit mining : अवैध उत्खनन के 2 प्रकरणों में संबंधित व्यक्तियों को कलेक्टर ने जारी किए कारण बताओ सूचना-पत्र!
*जानिए क्या हैं पूरा मामला!*

Ratlam : कलेक्टर राजेश बाथम ने 2 प्रकरणों में जिला खनिज अधिकारी सुश्री आकांक्षा पटेल तथा खनिज निरीक्षक देवेंद्र कुमार चिडार को भी कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं। जिला खनिज अधिकारी को जारी पत्र में कहा गया हैं कि उनके द्वारा कलेक्टर के समक्ष कोई भी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे प्रथम दृष्टया अवैध उत्खननकर्ता के साथ संलिप्तता परिलक्षित होती है, उनकी उदासीनता के कारण शासन को भारी राजस्व हानि हुई है। प्रथम दृष्टया उनके द्वारा अवैध उत्खनन प्रतिवेदन नहीं किया गया।

 

थाना प्रभारी के माध्यम से संज्ञान आने के बाद भी उनके द्वारा स्वयं सत्यापन या निरीक्षण नहीं किया गया और ना अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की चेष्टा की, इस कारण से अवैध उत्खनन जारी रहा, शासन को राजस्व हानि हो रही है। उक्त तथ्य अधीक्षक भू अभिलेख की रिपोर्ट से प्रकाश में आया जबकि यह उनका प्राथमिक एवं पदीय दायित्व हैं जिससे विदित होता हैं कि वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को गंभीरता से नहीं लेते यह गंभीर रूप से आपत्तिजनक होकर अनुशासनहीनता का द्योतक हैं तथा अपने पदीय दायित्व के प्रति उदासीनता हैं। वे शासकीय सेवा के प्रति कर्तव्य परायण नहीं है, उक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा के प्रतिकूल होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है।

 

इसी प्रकार खनिज निरीक्षक को जारी कारण बताओ सूचना पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा उचित माध्यम से कलेक्टर के समक्ष जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया।

 

गणना राशि भी निर्धारित प्रावधान अनुसार ना कर गणना मूल्यांकन त्रुटिपूर्ण किया गया जिसके आधार पर प्रथम दृष्टया उनकी अवैध उत्खननकर्ता के साथ संलिप्तता परिलक्षित होती है, साथ ही उनके द्वारा प्रावधान अनुसार गणना न कर शासन को राजस्व हानि पहुंचाई है। प्रथमतया उनके द्वारा अवैध उत्खनन प्रतिवेदित नहीं किया गया, थाना प्रभारी के माध्यम से संज्ञान आने के बाद भी उनके द्वारा स्वयं सत्यापन निरीक्षण नहीं किया गया, उनके कृत्य से शासन को राजस्व हानि हो रही है। उक्त तथ्य अधीक्षक भू अभिलेख की रिपोर्ट से प्रकाश में आया जबकि यह उनका प्राथमिक एवं पदीय दायित्व है, स्थिति से विदित होता है कि वह अपने पदीय दायित्वों के प्रति उदासीन है, शासकीय सेवा के प्रति कर्तव्य परायण नहीं है जो गंभीर रूप से आपत्तिजनक होकर अनुशासनहीनता का द्योतक है। उनका कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है।

दोनों अधिकारियों द्वारा समयावधि में उत्तर नहीं होने पर यह मान्य किया जाएगा कि उनको अपने पक्ष समर्थन में कुछ नहीं कहना है। ऐसी स्थिति में उनके विरुद्ध एक पक्षीय कार्रवाई की जाएगी।

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