पावन वसंतपंचमी के शुभ अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं

admin Avatar
Spread the love

*पावन वसंतपंचमी के शुभ अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।*
भगवत् गीता के दशम अध्याय ” विभूति योग ” में भगवान श्री कृष्ण *ऋतूनाम् कुसुमाकर:* ‘ की घोषणा कर वसंत ऋतु की श्रेष्ठता घोषित करते हैं ।
ऋतुराज वसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति जीवंत एवं चैतन्यमय हो उठती है। वसंत ऋतु में एक अनूठा लालित्य है। हवा की मस्ती भरी झोंके ही नहीं , गुनगुनी धूप , चंद्रमा की धवल चांदनी , पीली सरसों की मनमोहक चादर ओढ़े हरे-भरे खेत , आम की गदराई मंजरियां , खिलखिलाते फूलों का मोहक सौंदर्य एवं कोयल की कल-कूजन सभी आह्लादकारी लगते हैं। इस कारण *वसंत को कविता एवं कला का घर कहा जाता है।*

*वसंतपंचमी तिथि का विशेष महत्व –*
१. ऋग्वेद के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद जीव जगत को स्वर देने के लिए ब्रह्मा के आवाहन पर माघ शुक्ल पंचमी तिथि को वीणापाणि भगवती सरस्वती अवतरित हुई थीं और उन्होंने मूक-सृष्टि को स्वर प्रदान किय था।
२. महादेव शंकर ने कामदेव को भस्म कर दिया था। उनकी पत्नी रति के अनुनय-विनय पर शंकर जी ने उसे पुनः जीवनदान वसंत पंचमी को दिया था।
३. माता शबरी द्वारा श्री राम को बेर खिलाने की घटना वसंतपंचमी को ही हुई थी ।
४. जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था , तो बसंतपंचमी के दिन ही प्रभु श्रीराम दक्षिण की तरफ बढ़े थे।
५. द्वापर युग में राधा कृष्ण का प्रथम मिलन वसंत पंचमी के शुभ दिन हुआ था। इस दिन वृंदावन के श्रीराधा श्यामसुंदर मंदिर में *राधा-कृष्ण महोत्सव* का भव्य आयोजन होता है।

६. पृथ्वीराज चौहान के *आत्म बलिदान* की घटना भी वसंतपंचमी को हुई थी। पृथ्वीराज चौहान से सोलह बार पराजित होने के बाद मोहम्मद गोरी उन्हें सत्रहवीं बार छल से बंदी बनाकर अफगानिस्तान ले गया और वहां उनकी आंखें फोड़ दीं। गोरी ने मृत्युदंड देने से पहले पृथ्वीराज की निशानेबाजी का कमाल देखना चाहा। निशाना लगाते वक्त पृथ्वीराज के कवि मित्र चंदबरदाई ने कहा था –
*चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण।*
*ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान।।*
इस संकेत को सुनकर ही पृथ्वीराज ने जो तीर मारा , वह गोरी के मुंह में ही घुस गया। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने एक दूसरे के पेट में छूरा भोंक कर आत्म बलिदान दे दिया। ११९२ ई० की यह घटना बसंत पंचमी की है।

७. *विद्वान राजा भोज का जन्म वसंतपंचमी को हुआ था*। राजा भोज अपने जन्मोत्सव पर वसंत ऋतु में ४० दिवसीय राजकीय उत्सव का आयोजन कराते थे। उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ” *सरस्वती कण्ठाभरण “* में वसंत ऋतु में मनाए जानेवाले *’सुवसन्तक’ एवं ‘वसन्तावतार*’ नामक उत्सव का सुंदर वर्णन किया है।
८. वसंत पंचमी के दिन गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब में प्रयुक्त इकतीस शास्त्रीय रागों में से एक ” *राग वसंत* ” का मनोहारी कीर्तन किया जाता है , जो श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और श्रद्धा भाव जागृत कर देता है।
९. वसंत पंचमी का संबंध *बाल हकीकत राय* के अनूठी बलिदान से भी है। लाहौर (अब पाकिस्तान) के मात्र आठ वर्ष के उस वीर बालक ने बलिदान दे दिया , पर अपना सनातन हिंदू धर्म नहीं त्यागा।

१०. गौ हत्या के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले *गुरु राम सिंह कूका* का जन्म वसंत पंचमी तिथि को लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था , जिसने अंग्रेजों की सत्ता की चूलें हिला दी थीं।
११. *कविवर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला* ‘ का जन्म वसंतपंचमी को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था , जिन्होंने अपनी काव्य-कृति *” वर दे ! वीणावादिनी वर दे “* के माध्यम से मां शारदा की आराधना की थी।
१२. *गायत्री परिवार के जनक युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का आध्यात्मिक जन्म – दिवस भी बसंत पंचमी ही है।*
१३. *भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना वसंतपंचमी के दिन ही की थी।*
योगाचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी प्रयागराज की ओर से आपको पावन वसंतपंचमी की हार्दिक बधाई।
( *द्वारा पंडित ओम प्रकाश ओझा रतलामी*)

https://Manasnews.com

प्रधान संपादक नरेन्द्र सोनगरा रतलाम

 Avatar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Author Profile
Latest posts
Search