जिले के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के प्रदर्शन में सुधार लाने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई सम्पन्न

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उत्पादन की दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने की दी जानकारी

जिले के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के प्रदर्शन में सुधार लाने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई

कैप्शन कार्यशाला में उद्योगपतियों को जानकारी देते हुए विशेषज्ञ।

होटल समता सागर में जिले के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रदर्शन में सुधार लाने के उद्देश्य से रेजिंग एंड एक्सलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (रैम्प) योजना पर शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला हुई। इसका उद्देश्य ज़ीरो डिफेक्ट ज़ीरो इफेक्ट (ज़ेड) योजना, लीन मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मकता योजना (एलएमसीएस), बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), और व्यापार प्राप्य इलेक्ट्रॉनिक डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) के प्रति जागरूकता लाना था।
शुरुआत जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक अमरसिंह मौरे के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने रैम्प योजना के उद्देश्य, प्रदेश सरकार की भूमिका और इसमें स्थानीय उद्योगों के लिए संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके पश्चात, ज़ेड योजना के विशेषज्ञ वीपी शर्मा ने योजना के लाभों और क्रियान्वयन पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा ज़ेड सर्टिफिकेशन प्राप्त करने से उद्योगों की गुणवत्ता और पर्यावरणीय प्रभाव में सुधार होगा। उन्होंने स्थानीय उद्यमियों से ज़ेड सर्टिफाइड बनने का आग्रह किया। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के विशेषज्ञ सरोज जैन ने लीन मैन्युफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मकता योजना (एलएमसीएस) की जानकारी देते हुए कहा योजना के माध्यम से एमएसएमई अपने उत्पादन की दक्षता को बढ़ा सकते हैं और लागत को कम कर सकते हैं। उन्होंने इस योजना के तहत प्राप्त होने वाली सब्सिडी की जानकारी दी। बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर डॉ. अजय चौबे ने पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और डिज़ाइन से संबंधित प्रक्रियाओं की जानकारी दी। उन्होंने उद्योगपतियों से बौद्धिक संपदा के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की अपील की, ताकि उनके उत्पाद और सेवाएं कानूनी रूप से सुरक्षित रह सकें।
उपस्थितों ने कहा इस तरह की कार्यशाला समय-समय पर हो
इस कार्यशाला में शहर के प्रमुख उद्योगपतियों, जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र के अधिकारियों, विभिन्न उद्योग संघों और उद्यमियों ने भाग लिया। सभी ने इस कार्यशाला को एमएसएमई के विकास के लिए लाभकारी बताया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने ज़ेड सर्टिफिकेशन, लीन मैन्युफैक्चरिंग और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों पर खुली चर्चा की। उपस्थितों ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन समय-समय पर होना चाहिए। ताकि उद्योग जगत को सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल सकें। कार्यशाला के अंत में जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र महाप्रबंधक ने सभी प्रतिभागियों से एमएसएमई के उन्नयन में सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उद्योगों से आग्रह किया कि वे सरकार की इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और अपने व्यवसाय को नई ऊंचाई पर ले जाएं। इसमें जिले के विभिन्न उद्योग संघों ने भागीदारी की। संचालन शैलेंद्र सुरेखा ने किया इस मौके पर लघु उद्योग भारती प्रांत कार्यकारिणी सदस्य चंद्रप्रकाश अवतानी , लघु भारती उद्योग की जिला इकाई के अध्यक्ष संजय व्यास, सचिव रोहित मालपानी, नमकीन क्लस्टर अध्यक्ष धर्मेन्द्र मारूँ सचिव रिंकू कृष्णानी लघु उद्योग भारती महिला इकाई सुमित्रा अवतानी जावरा इकाई अध्यक्ष चंद्र प्रकाश औसतवाल
कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल सारड़ा ललित चोपड़ा मोहित पगारिया आदित्य वौरा विजय माहेश्वरी कुंदन सोनी रोनक चोपड़ा नीलेश बोरदिया रघुवीर सिंह सोलंकी राहुल माहेश्वरी विजय धनोतीया अंचित पोरवाल , विक्रम सोलंकी ,वरुण पोरवाल उद्योगपति वीरेंद्र पोरवाल सहित बड़ी संख्या में ज़िले के उद्योगपति उपस्थित थे समस्त जानकारी मालवा प्रांत मीडिया प्रभारी उद्योगपति संदीप सकलेचा ने दी

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