जनसुनवाई में 55 आवेदनों पर निराकरण के निर्देश जारी किए गए,

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रतलाम,,जिला स्तरीय जनसुनवाई मंगलवार को जिला कलेक्टर सभाकक्ष में संपन्न हुई। कलेक्टर राजेश बाथम, ने जनसुनवाई करते हुए 55 आवेदनों पर निराकरण के निर्देश संबंधित विभागों को जारी किए। जनसुनवाई में सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। जनसुनवाई में ग्राम उसरगार निवासी सुरेश आटोडिया ने बताया कि प्रार्थी एक निजी कार शोरुम पर पीयून के पद पर कार्यरत था। कम्पनी के हेड एवं एच.आर. द्वारा मुझे दिनांक 15 मई 2024 को ई-मेल और फोन के माध्यम से सूचित किया गया कि 31 मई 2024 से उक्त ब्रांच को बंद किया जा रहा है। आपका अप्रैल तथा मई दो माह का वेतन 31 मई 2024 पश्चात् आपको प्रदान कर दिया जाएगा, परन्तु कम्पनी द्वारा मुझे दो माह का भुगतान नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में कम्पनी हेड से भी बात की गई परन्तु वे भी वेतन के सम्बन्ध में आनाकानी कर रहे हैं। कृपया वेतन दिलवाने में मदद की जाए। आवेदन निराकरण के लिए श्रम पदाधिकारी को भेजा गया है। गांधीनगर रतलाम निवासी हेमा कमलेश भोमालिया ने आवेदन देते हुए बताया कि मेरे पति द्वारा नगर निगम में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन दिया गया था परन्तु आवेदन पर कोई कार्रवाई न होने तथा आर्थिक स्थिति के चलते पति द्वारा आत्महत्या कर ली गई थी। पति की मृत्यु पश्चात् प्रार्थिया द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन किया गया परन्तु मुझे अभी तक नियुक्ति पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। प्रार्थिया की पारिवारिक स्थिति काफी दयनीय है तथा बच्चों का लालन-पालन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। आवेदन निराकरण के लिए निगम के स्थापना प्रभारी को आवश्यक कार्यवाही हेतु कहा गया है। ग्राम नीमन निवासी जगदीश बलाई ने जनसुनवाई के दौरान अपने आवेदन में बताया कि पंचायत द्वारा पौधारोपण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रार्थी द्वारा ग्राम नीमन में वर्ष 2017 में 750 पौधे तथा वर्श 2024 में 450 पौधे, इस प्रकार कुल 1200 पौधों का रोपण किया गया था जिसकी मजदूरी की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। आवेदन निराकरण के लिए जनपद पंचायत को भेजा गया है। ग्राम आनन्दखेडी (सिमलावदा) निवासी रघुवीर मकवाना ने बताया कि प्रार्थी की ग्राम में ही कृषि भूमि है जिस पर वह वर्षों से कृषि कार्य करता आ रहा है। वर्ष 2020 से गांव के एक व्यक्ति द्वारा प्रार्थी की कृषि भूमि पर आने-जाने के मार्ग पर कांटे बिछाकर रास्ता बंद कर दिया गया है जिससे प्रार्थी अपनी कृषि भूमि पर नहीं जा पा रहा है। आवेदन निराकरण के लिए तहसीलदार ग्रामीण को निराकरण के लिए भेजा गया है।

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