गीता जयंती महोत्सव* *गीता जयंती पर पंडित मुस्तफा आरिफ़ की नव सृजित ७८६ पदो की रचना “गीता भारती” का प्रणयन*

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*गीता जयंती महोत्सव*

*कर्म एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा है, सभी धर्म ग्रंथो का मूल है!*
–पंडित मुस्तफा आरिफ़

*गीता जयंती पर पंडित मुस्तफा आरिफ़ की नव सृजित ७८६ पदो की रचना “गीता भारती” का प्रणयन*

रतलाम। डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में गीता जयंती पर *लोकाचार में गीता* विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित पंडित मुस्तफा आरिफ़ ने गीता को ७८६ पदों में रचने के अपने संकल्प को ‘आओ सत्यमेव जयते कहे’ आदि प्रारंभिक पदों के गायन से ग्रन्थ का प्रणयन एवम शुभारम्भ किया।

मुख्य आतिथ्य प्रदान कर रहे पण्डितश्री चेतन शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता सभी शास्त्रों का सार है । यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनाई जाती है । गीता नीति का सन्देश देती है। गीता कर्म की ही उद्भावना है।

विशेष आतिथ्य प्रदान कर रहे हितेश जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा की गीता शोध का विषय है । गीता के सातवे अध्याय में कृष्ण ने कहा है कि ‘हे अर्जुन!मैं तुझको ज्ञान दे रहा हूँ वह विज्ञान सहित है।विज्ञानियों ने आज्ञा चक्र को जाग्रत करने का कोई फार्मूला ईजाद नहीं किया । गीता से पिनियल ग्रन्थि की जाग्रति और ज्ञान का उदय भारत का विज्ञान है।

जगदीश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता कृष्ण का हृदय है , गीता में कृष्ण का वास है । निष्काम कर्म का संवाद है गीता ।

प्रिया उपाध्याय ने अर्जुन कृष्ण के संवाद को अपने गीत ‘युद्ध है धर्म का ये लड़ो पार्थ तुम! राह सच की है आगे बढ़ो पार्थ तुम! की सस्वर अभिव्यक्ति की।

पंडित अखिल स्नेही ने कहा कि कृष्ण और अर्जुन का संवाद वर्तमान के लिए है । इस लोक और परलोक तक का संदेश देती है गीता! हमारा मन ही कुरुक्षेत्र है। ‘तू कौरव तू पांडव मनवा , तू रावण तू राम!’ आपने परम् भागवताचार्य हरिप्रसाद शर्मा के ग्रन्थ गीता संगीत के पदों का गायन कर लोकाचार में गीता का संदेश दिया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महर्षि शिवशंकर संजय दवे ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गीता नित्य है । वर्तमान के जीवन मूल्यों में नई पीढ़ी में लोकाचार में गीता की महती आवश्यकता है । गीता पाठ शासन ने भी अनिवार्य किया है। तो हमें भी शासित और जाग्रत होना होगा। क्योंकि गीता जाग्रति का ग्रन्थ है । गीता एक ऐसा दर्पण है जो उसमें झाँकता है उसे अपना प्रतिबिम्ब उसमें दिखाई देता है। जीवन का योग है गीता ! जीवन सूत्र है गीता! गीता जीवन का वर्तमान है!

इस अवसर पर हार्दिक अग्रवाल आकाश अग्रवाल रश्मि उपाध्याय सीमा राठौर दीपा नागर सरिता नागर कीर्ति पंचौली सुमन शर्मा आदि सुधिजनो की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवम गीता के महानायक श्रीकृष्ण का पूजन दीप प्रज्ज्वलन एवम मंगला चरण से किया ।

संचालन डॉ शोभना तिवारी ने किया । आभार अखिल स्नेही ने माना।

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