सीएमएचओ डॉ. आनंद चंदेलकर का आमजन से आह्वान, रखे अपने स्वास्थ्य का ध्यान तापमान में तेजी से गिरावट होने पर होती है दिक्कत।

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रतलाम, 25 नवंबर। सीएमएचओ डॉ. आनंद चंदेलकर ने बताया कि शीत ऋतु में वातावरण का तापमान अत्यधिक कम होने (शीत लहर) के कारण मानव स्वास्थ पर अनेक विपरीत प्रभाव जैसेः- सर्दी, जुकाम, बुखार, निमोनियां, त्वचा रोग, हृदय रोग, फेफड़े में संक्रमण, हाईपोथर्मिया, अस्थ्मा, एलर्जी होने की आंशका बढ़ जाती है। समय पर नियत्रण न किया जाए तो तो जान भी जा सकती है। उक्त प्रभावों से पूर्व बचाव के लिए समयानुसार उचित कार्रवाई की जाने की स्थिति में प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। यदि किसी स्थान पर एक दिन या 24 घण्टे में औसत तापमान में तेजी से गिरावट होती है। हवा बहुत ठंडी हो जाती है, उस स्थिति को शीत लहर कहते है।

कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साईड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है, जो किसी की जान भी ले सकती है।गैर औद्योगिक भवनों में गर्मी के बचाव हेतु दिशा-निर्देशानुसार रोधन का उपयेग करें।अधिक समय ठंड के संपर्क में न रहे।शराब न पीएं। यह शरीर की गर्माहट को कम करता है, यह खून की नसों को पतला कर देता है, विशेषकर हाथों से जिसमें हाईपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है।

क्षतिग्रस्त हिस्सों की ना करें मालिश

शीत में क्षतिग्रस्त हिस्सों की मालिश न करें। यह त्वचा को और नुकसान पंहुचा सकता है। शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणें जैसे कि संवेदनशून्यता सफेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियां कान की लौ तथा नाक की उपरी सतह का ध्यान रखें। अचेतावस्था में किसी व्यक्ति को कोई तरल पदार्थ न दें । शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एंव संवेदनशून्य हो सकती है, तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसें गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीत लहर के पहले लक्षण पर ही तत्काल चिकित्सक की सलाह लें। प्रभावित अंगों को तत्काल गर्म करने का प्रयास किया जावें।

अत्यधिक कम तापमान वाले स्थान पर जाने से बचें

अत्याधिक कम तापमान वाले स्थानों पर जाने से बचे अन्यथा शरीर के कोमल अंगों में शीतदंश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। शीत से प्रभावित अंगों को गुनगुने पानी (गर्म पानी नहीं) से इलाज करें। इसका तापमान इतना रखें कि यह शरीर के अन्य हिस्से के लिए आरामदायक हों। कंपकंपी, बोलने में दिक्कत, अनिंन्द्रा, मांसपशियों के अकड़न सांस लेने में दिक्कत/निश्चेतना की अवस्था हो सकती है। हाईपोथर्मिया एक खतरनाक अवस्था है जिसमें तत्काल चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता है। शीत लहर/हाईपोथर्मिया से प्रभावित व्यक्ति को तत्काल नजदीकि अस्‍पताल में चिकित्सीय सहायता प्रदान कराएं।

 

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